उनकी कलम से

(1.)  जीवन में जिससे जो भी रिश्ता है उस रिश्ते का आनंद उसी इंसान से लिया जा सकता है जिसके साथ वो रिश्ता है। इसे हम किसी दूसरे इंसान से बदल नहीं सकते। माँ के रिश्ते का असली आनंद अपनी माँ से ही आ सकता है। किसी और को हम माँ मान तो सकते हैं लेकिन उस रिश्ते की रूहानियत को नहीं छू पाते। पत्नी, पति, दोस्त, प्रेमी, प्रेमिका, पुत्र, पुत्री आदि के रिश्तों का कोई विकल्प नहीं हो सकता।

(2.)  हमें ईश्वर ने जो दिया हैं उसी में ख़ुश रहना चाहिए और अच्छे के लिए प्रयत्न करते रहना चाहिए। मैं भगवान से कुछ माँगने के बजाय यही प्रार्थना करूँगा कि उसने जो मुझे दिया, उसके लिए तहे दिल से शुक्रिया।

(3.)  आप जो कर रहे हैं वो आपके व आपके परिवार के लिए बेहतरीन है। लेकिन कुछ अन्य लोग जो आपके आस पास हैं और आपको पसंद करते हैं, आपके इन परिवार केंद्रित बेहतरीन कार्यो से खुद को अलग महसूस कर सकते हैं। इसलिए बाहरी और भीतरी रिश्तों में सामंजस्य बनाये रखना आवश्यक है।

(4.)  इंसान को बस एकांत चाहिए जहाँ वह चिंतन कर सके। जो सामजिक रिश्ते बनते हैं जरूरी नहीं सब हमारी पसंद के ही हों। बहुत से दोस्त मिलते हैं और अलग अलग कारणों से याद रहते हैं। कुछ दोस्तों को छोड़ना मुश्किल होता है।

(5.)  अगर कोई दिल को भा जाता है तो उसके लिए तन, मन, धन सब न्योछावर, और अगर कोई दिल से उतर जाता है तो उसकी तरफ मुड़ के नहीं देखा।

(6.)  मुझे नहीं पता मोहब्बत क्या है लेकिन जो भी किया शिद्दत से किया। कुछ कमियाँ थी जिंदगी में जिन्हें दूर करने के लिए थोड़ा दूर और चले। भगवान से न सही, पर जिंदगी से थोड़ा शिकवा कल भी था, आज भी है।

(7.)  कल क्या होगा ये किसी को नहीं पता, लेकिन अंत में वास्तविकता को स्वीकारना ही पड़ता हैं और उसी के साथ जीना पड़ता हैं।

(8.)  खुद पर इतना विश्वास रखो कि जिसे चाहो उसे पा सको। अपने दम पर अपना जीवन जीना सीखो।




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