चुनिंदा दोस्त कहाँ मिलते हैं

कहा जाता है कि 'दोस्त रखिये पर चुनिंदा रखिये', यह सोचकर आप कुछ ही दोस्तों को करीब रखते हैं और उन्हें महसूस भी कराते हैं कि वो आपके लिये बेहद खास हैं। लेकिन जिन लोगों को आपने खास माना क्या उन्होंने आपको खास माना, शायद नहीं। एक वक़्त तक वे खुद के खास होने का लुफ्त उठाते हैं लेकिन आप महसूस करेंगे कि उन खास लोगों के भी अपने कुछ दायरे हैं जो सिर्फ आपके द्वारा उनको खास बनाने तक सीमित नहीं होते। इससे एक बात तो साफ है कि चुनिंदा दोस्त कब तक चुनिंदा रहेंगे ये आप पर नहीं बल्कि सामने वाले पर ज्यादा निर्भर करता है और इस पर शायद आपका काबू नहीं है।

तो क्या किसी का खास बन कर उसकी उम्मीदों पर खरा उतरा जाये, शायद नहीं। सामने वाला आपको कब तक खास मानेगा यह भी कोई नहीं जानता। अतः दोस्त चुनिंदा रखिये उनको महसूस भी करवाइये, इससे जो निकलकर आयेगा उसका आनन्द भी लिजिये, पर हमेशा के लिये ऐसा ही रहेगा ये उम्मीद लगा कर मत रखिये। कुछ खास परिस्तिथियों में ही चुनिंदा दोस्त चुनिंदा रह पाते हैं।

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