।। प्रेम ।।
इस तरह से किसी ने किया प्रेम है,
द्वेष की हर जगह भर दिया प्रेम है ।
नाप डाले धरा से गगन आदमी,
नाप जिसको सके ना वो कद प्रेम है ।
ये अमर शिव सती की कथा प्रेम है,
युग बदलते रहे पर यथा प्रेम है ।
राधिका झूमती श्याम के नाम पर,
चढ़के उतरे नहीं वो नशा प्रेम है ।
सूर तुलसी कबीरा का पद प्रेम है,
एक मोहन दीवानी की हद प्रेम है ।
लोग कहते कि मीरा ने विष पी लिया,
सच यही है कि उसने पिया प्रेम है ।
इस तरह से किसी ने किया प्रेम है,
द्वेष की हर जगह भर दिया प्रेम है ।
नाप डाले धरा से गगन आदमी,
नाप जिसको सके ना वो कद प्रेम है ।
ये अमर शिव सती की कथा प्रेम है,
युग बदलते रहे पर यथा प्रेम है ।
राधिका झूमती श्याम के नाम पर,
चढ़के उतरे नहीं वो नशा प्रेम है ।
सूर तुलसी कबीरा का पद प्रेम है,
एक मोहन दीवानी की हद प्रेम है ।
लोग कहते कि मीरा ने विष पी लिया,
सच यही है कि उसने पिया प्रेम है ।
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