मोक्ष क्या है

 ब्रह्माण्ड के रचयिता उस पूर्णरूप ज्योतिरबिंदु की प्रेममयी दिव्य कलाओं से प्रेरित हमारी आत्मा, ज़ब दिव्य स्वरूप ईश्वर की रूहानियत को छूकर, स्वयं को उसे समर्पित कर देती है और उसमें विलीन हो जाती है, उस पल के असीम आंनद की अनुभूति ही मोक्ष है। ईश्वरीय मिलन के इस आनंद से ऊपर कोई आनंद नहीं है। इसके बाद शरीर सुख, दुख, प्रेम, मोह आदि से परे एक जड़ की भांति होकर जन्म मरण से छुटकारा पा लेता है। 

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